भूल-4जिन्ना और मुसलिम लीग (ए.आई.एम.एल.) की सहायता करना जिन्ना और ब्रिटिश अधिकारियों—दोनों ने ही सन् 1939 में नेहरू और उनकी मंडली के चलते कांग्रेस के मंत्रालयों द्वारा दिए गए इस्तीफों (उपर्युक्त भूल#3) का खुलकर स्वागत किया। जिन्ना इसे कांग्रेस की ‘हिमालयी भूल’ कहते नहीं थके और वे इसका पूरा फायदा उठाने को दृढ़-संकल्पित थे। जिन्ना और मुसलिम लीग इस हद तक चले गए कि उन्होंने सभी मुसलमानों से आह्वान किया कि वे 22 दिसंबर, 1939 को कांग्रेस के ‘कुशासन’ से ‘यौम ए निजात’, यानी ‘डे अॉफ डिलीवरेंस’ के रूप में मनाएँ। नेहरू की भूल के परिणामस्वरूप मुसलिम लीग के सितारे