स्नेहिल नमस्कार मित्रों को ताज़ा व बरसों पुराने संस्मरण का मिलाप ====================== जुलाई 15ता. 25की बात है। आज 17 हो गई, दो दिनों से आप सबसे यह साझा करने की बस सोचती ही रह गई हूँ। आज मुहूर्त निकला।अभिभूत हूँ अपने प्रति इतना प्यार व सम्मान देखकर अब इस उम्र में भला और क्या चाहिए?? जीवन के ऊबड़ खाबड़ रास्तों पर चलते हुए यदि रास्ते में एक हरियाली का, छाँव का, शीतल पवन का झौंका आ जाए तो कैसा महसूस होता है? एक ऐसी शीतलता जो शरीर को तो थकान से बचाकर एक प्यारा सा एहसास देती ही है,