तेरा ज़हर, मेरी मोहब्बत - 2

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Episode 2: “इस रिश्ते में तेरा नाम नहीं, बस मेरा हक़ है”सुबह की धूप 16वीं मंज़िल की बालकनी में गिर रही थी, लेकिन मेरे जिस्म पर सिर्फ़ ठंडक थी — उसके लहजे की।वो मुझे देखता था जैसे मैं कोई चीज़ हूँ जिसे उसने जीत लिया हो, लेकिन उसके अंदर कोई ऐसी बेचैनी थी जिसे मैं पढ़ नहीं पा रही थी।मैं — दुआ शर्मा — अब उसकी दुनिया में थी, लेकिन अपने नाम से नहीं।उसने मुझे कभी “दुआ” कहकर नहीं बुलाया। उसके लिए मैं “तुम” थी, बस।️ उसकी दुनिया में मेरा पहला दिन“तुम्हारे लिए एक रूल बुक है,” उसने टेबल पर एक