माया और राहुल – Part 2 (अंतिम भाग)“कुछ रिश्ते मिलते नहीं... पर वो छूटते भी नहीं।”रिश्तों की उम्र क्या होती है? कभी कुछ महीने, कभी कुछ साल… और कभी एक पल में ही सब कुछ हमेशा के लिए बदल जाता है।राहुल की चुप्पी अब माया की ज़िंदगी में आदत बन चुकी थी। एक वक्त था जब हर छोटी-बड़ी बात वो उसी से साझा करती थी — ऑफिस की टेंशन हो या कॉल ड्रॉप का गुस्सा। लेकिन अब उनके बीच न तो बातचीत बची थी, न ही उम्मीद।एक शाम, जब माया अपने कमरे में चुपचाप बैठी थी, उसकी मां ने आकर