तेरे नाम की मुस्कान अभिमान खुद से ही उलझा हुआ था।उसके चेहरे पर हल्की सी हैरानी और गहराई से भरी मुस्कान थी — जैसे खुद से पूछ रहा हो, "ये क्या हो रहा है मेरे साथ?"उसने कभी इस तरह महसूस नहीं किया था।तभी नीचे से आवाज आई —"अरे बेटा, आज तो तू बड़ी जल्दी घर आ गया!" — सरस्वती जी मुस्कुराकर बोलीं।अभिमान झेंपते हुए बोला,"तो क्या हुआ माँ, आ नहीं सकता क्या जल्दी?"पास बैठे अमित जी ठहाका लगाकर बोले —"सरु देखना, सूरज शायद पश्चिम से निकला है आज!"अभिमान मुंह बनाकर बोला —"मैं ऊपर जा रहा हूँ..."और तेज़ कदमों से सीढ़ियाँ चढ़