मंजिले कहानी सगरहे की एक मर्मिक कहानी " रडिओ " एक यादगर कहानी। " वो तंग गली, हाँ वही तंग गली, मुला धीरो सलायी वाली, जो घूम कर ! "एक चुरास्ते पे आ निकलती थी। "हाँ वही --- वही ।" " बम्बे की तंग सी गलियों मे गरीबो का भी समाज था, उनके भी जज्बात थे, उनका भी जीवन था, उनका भी उदास सपना था। " जो शायद कभी पूरा होना नहीं था। उसी तंग सी गलियों मे एक मदन का शहंशाह परिवार था। मंगू उसी घर का कार ड्राइवर था। जो मदन " को वकालत के वक़्त छोड़ कार