सुकून भरी सुबहअगले दिन अभिमान घर पर ही था। सोफे पर चुपचाप बैठा था, आंखों में हल्की थकावट और मन में कुछ शांत-सा। सरस्वती जी ने उसे देखकर पूछा,“क्या बात है? आजकल बहुत छुट्टियाँ ले रहे हो तुम।”अभिमान ने कुछ नहीं कहा, बस हल्की-सी मुस्कान दी और नजरें फेर लीं।उसी समय अमित जी बोले, “मैं निकलता हूं ऑफिस के लिए।”अभिमान ने सिर हिलाया, पर उसकी आंखों में कुछ और ही चल रहा था।वो थका हुआ ज़रूर था, पर उसके चेहरे पर एक अलग ही सुकून था…उसने अपने हाथों को देखा — वही हाथ जिनसे कल रात उसने आन्या को अपने