रात – सिटी हॉस्पिटलहॉस्पिटल के शांत कॉरिडोर में सिर्फ धीमे-धीमे कदमों की आहट थी।अभिमान वॉर्ड की ओर बढ़ रहा था — हर कदम के साथ उसका दिल और भी ज़ोर से धड़कने लगा।वॉर्ड नंबर 12।रात के ग्यारह बज चुके थे। दरवाज़े के पास पहुँचकर वो ठिठक गया।अंदर से हल्की सी धीमी रोशनी छनकर बाहर आ रही थी।उसने कांपते हाथों से दरवाज़ा खोला।सामने बेड पर लेटी थी — आन्या।उसका चेहरा पीला था। बाल बिखरे हुए थे, लेकिन मासूमियत अब भी उसी तरह जिंदा थी।सलाइन की बोतल से उसका हाथ जुड़ा था — और वही हाथ... वही नन्हा हाथ जिसने कभी उसकी