मुलाकात

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डॉ सन्दीप अवस्थी ऐसा लगता है रोज ब रोज की मुझे कोई बुला रहा है ।रूहें आवाजे दे रही हैं....आ जाओ , आ जाओ । आंख खुल जाती है और मैं चुपचाप दम साधे पड़ी रहती हूं कि यह सपना ही था या .....। कहकर उदास उदास सी निगाह से देखा उसने अपनी रूममेट को। दोनों उस शहर के हॉस्टल में रहकर प्रीमेडिकल परीक्षा की तैयारी कर रही हैं । दसवीं में ही उन्हें यहां डाल दिया था ।अब वह बारहवीं में हैं और इस साल परीक्षा है। चल उठ लाफ्टर थेरेपी के लिए चलना है। दरअसल यह थेरेपी हॉस्टल