एक थाली खाना

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गाँव का नाम था — सूरजपुर। वहाँ एक बूढ़ी माँ रहती थी, नाम था सावित्री देवी। उनके तीन बेटे थे – राजेश, सुरेश और महेश। तीनों शादीशुदा थे और अलग-अलग रहते थे। माँ पहले सबके साथ रहती थीं, लेकिन धीरे-धीरे हर बेटे ने उन्हें "थोड़े समय" के लिए अपने घर से बाहर कर दिया।अब माँ अकेली एक झोपड़ी में रहती थीं। कमज़ोर शरीर, धुंधली आँखें, और सूखी रोटियों में दिन कटते थे। गाँव के लोग देखकर अफ़सोस करते, पर बेटे व्यस्त थे – कभी ऑफिस, कभी बच्चे, कभी बीवी।एक दिन गाँव के स्कूल में “संयुक्त परिवार और बुजुर्गों का सम्मान”