अब तक......एरियल को जंगल में वो रहस्यमयी साधु मिला, जिसने उसे बताया कि उसका पतन एक सज़ा नहीं बल्कि चुनाव था। लेकिन जैसे-जैसे एरियल सवाल पूछता गया, साधु की आंखों में कुछ छिपा हुआ डर और गहराता गया। आगे.......जंगल की हवा अब वैसी नहीं थी जैसी पहले थी। चारों ओर अजीब सी नमी थी, मानो पेड़ों की छालें भी किसी भय को छिपाने की कोशिश कर रही हों। साधु चुप हो गया था। उसकी आंखें एरियल को घूर रही थीं—न गुस्से से, न करुणा से, बस… निर्विकार।"तुम्हें अब चलना होगा," उसने अंततः कहा।"कहाँ?" एरियल ने पूछा।"जहाँ से तुम गिरे थे।