17. (अंतिम भाग )पाठको, इस लंबी कहानी के बीच हम आपको एक छोटा सा सिनेमा भी दिखाना चाहेंगे। ये कुल पौने तीन घंटे की एक डॉक्यूमेंट्री है जिसमें कोई पात्र नहीं है। बिजली भी गुल है, लिहाज़ा सर्वत्र अंधेरा है।कहीं कोई शोर आपकी तन्मयता में व्यवधान नहीं डालेगा क्योंकि चारों ओर नीरव सन्नाटा है। सारा जहां सोया हुआ है।यदि कहीं कोई पशु - पक्षी की बेचैनी की आहट भी होगी तो यह परिसर से बाहर की बात होगी क्योंकि परिसर में तो कोई परिंदा भी पर नहीं मार सकता।कड़ा पहरा है।अलबत्ता हमारी यह फ़िल्म शुरू होती है एक सपने से।ये सिनेमा