पिता का साया

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कहानी शीर्षक: पिता का सायाभाग 1: एक साया जो कभी दूर नहीं होतागाँव के एक सादे से घर में सूरज की किरणें जैसे ही खिड़की से टकराईं, अनया की आँखें खुल गईं। सामने दीवार पर लगी पिता जी की तस्वीर आज फिर जैसे कुछ कह रही थी। वह तस्वीर नहीं थी, वह एक साया था… एक भाव… एक सहारा, जो अब बस यादों में रह गया था।अनया की उम्र महज़ सात साल की थी जब उसके पिता, रामदत्त शर्मा, का देहांत हो गया था। वह एक शिक्षक थे—कठोर अनुशासन वाले, लेकिन भीतर से बेहद कोमल और संवेदनशील। उनके चेहरे पर