उस अनुभव के बाद ही मैं ने जाना, आंख की अपेक्षा हमारे कान ज़्यादा तेज़ी दिखाते हैं। आंख से पहले कान जान लेते हैं,घटना ने अपना विस्तार किस पल अर्जित किया। किसी भी घटना को वे तात्क्षणिक नहीं समझते। एकल कुछ ऐसा है जो पहले घटता है और कान के पास जा खटकता है और कान उस घटना की समय- बद्ध अवधि की अध: सीमा आंख से पहले पकड़ते हैं। यह अनुभव सन सैंतालीस के अगस्त माह का है। इस का संबंध अमृतसर की रहीम बख्श रोड की तिमंज़िली उस बरकत बिल्डिंग से है जिस का एक हिस्सा हम ने