बिहार और झारखंड की सीमादोपहर – 3:40 बजेसड़क से 6 किलोमीटर अंदर, धूलभरी पगडंडी परसियाराम का मोबाइल अब नेटवर्क से बाहर था।जंगल के किनारे से गुजरती पगडंडी पर उसकी बाइक धच-धच की आवाज़ के साथ धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी। पहियों के नीचे सूखी पत्तियाँ चरमरातीं, और ऊपर सूरज किसी पुराने ब्लैक-एंड-व्हाइट फिल्म की तरह दिखता – धुंधला और बुझा-बुझा।“छायाग्राम – 2 किलोमीटर”एक जर्जर बोर्ड झुका हुआ था, जैसे अब खुद भी वहाँ नहीं रहना चाहता हो।सियाराम ने गाड़ी रोक दी।उसने गहरी सांस ली। यही तो गाँव था, जहाँ उसके दादा बचपन में उसे कहानियाँ सुनाया करते थे —"एक गाँव