श्री गुरु नानक देव जी ने अपने हाथों से उन साधुओं को भोजन दाल रोटी और वस्त्र अपने हाथों से दिये।फिर भी श्री गुरु नानक देव जी कुछ गंभीर रहने लगे। वे हर वक्त प्रभु सै सुरति लगाए कुछ विचारों में लीन रहते।एक दिन उनके पिता जी ने गांव के वैध को बुला लिया।कुछ देर बाद उसने श्री गुरु नानक देव जी को हाथ दिखाने के लिए कहा।श्री गुरु नानक देव जी ने जब अपना हाथ आगे बढ़ाया तो तो वो नाड़ी पकड़ कर देखने लगा।श्री गुरु नानक देव जी ने वैध की और देखा और मुस्कुरा कर कहने लगे। वैध