छांव उसी पेड़ की थी

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 कहानी: "छांव उसी पेड़ की थी"   गांव के एक कोने में एक वृद्ध रहते थे नाम था श्री अरुणदास, लेकिन लोग उन्हें "अकेला बाबा" कहते थे। क्योंकि वे ना किसी सभा में जाते. ना प्रवचन करते. बस रोज एक ही पेड़ के नीचे बैठते मौन, शांत, सरल। कई बार लोग पूछते, "बाबा, क्या आप ध्यान करते हैं?" वो बस मुस्कुरा कर कहते, "मैं अब कुछ नहीं करता, अब बस वही करता है जो सब कराता है। एक बार एक युवा आयाँ शहर से, पढ़ा-लिखा, तेज़-तर्रार। उसने बाबा से पूछाः आप इतने वर्षों से मौन क्यों है? क्या आपने परमात्मा