घर पहुँचते ही आन्या का चेहरा बुझा हुआ था। ममता जी ने उसे देखा तो फिक्र से पूछा,“क्या हुआ बेटा?”आन्या ने कुछ नहीं कहा और चुपचाप अपने कमरे में चली गई। अक्षत धीरे से बोला,“पापा ने डांटा था…”ममता जी चुप रहीं, और तूकाराम जी ने सख़्त लहजे में कहा,“अक्षत को चोट लगी है, दवा लगा दो। मैं एक बार चेक कर आता हूँ।”ममता जी अक्षत को लेकर अंदर चली गईं। थोड़ी देर बाद आन्या कपड़े बदलकर किचन में आई।ममता जी बोलीं, “खाना खा लो।”आन्या धीमे स्वर में बोली,“रसोई साफ कर लूं, फिर खा लूंगी,”और चुपचाप स्लैब साफ करने लगी।दूसरी ओर...अभिमान