गुस्से से भरा एक दिन, और एक अनजानी शुरुआत...अभिमान अपनी बुलेट पर गुस्से में बैठा, जैसे किसी आग की लपटों पर सवार हो। बिना किसी से कुछ कहे, उसने बुलेट स्टार्ट की और झटके से बाहर निकल गया। आसमान आज बेहद साफ़ था, पर उसके माथे पर पसीने की हल्की परत थी — गुस्से और बेचैनी की मिली-जुली निशानी।तेज़ रफ्तार से सड़कें भाग रही थीं, पर उसके मन में उठते तूफान की आवाज़ उन सड़कों के शोर से कहीं ज्यादा तेज़ थी।कुछ ही मिनटों में वह 'जोधा रेस्टोरेंट' के सामने पहुंचा — वही रेस्टोरेंट जिसे उसके पिता और उसने मिलकर