ग़ज़ल - सहारा में चल के देखते हैं - 4

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 अलका 'राज़' अग्रवाल ️️ अलका "राज़" अग्रवाल ,️️  ****ग़ज़ल***   याद मुझको आए वो हर बात में। जाने क्या मैं कहगई जज़्बात में।।   खिल गया दिल चाँदनी सा रात में। खो गई उनकी मैं हरिक इक बात में।।   सारा कुछ तो दे दिया मैंने तुम्हें। और क्या दूँ मैं तुम्हें सौग़ात में।।   क्या हुवा आख़िर ज़रा बतलाइये। दिल में है नफ़रत पली किस बात में।।   भीगने का ख़ूब आएगा मज़ा। हमसफ़र बन कर चलें बरसात में।।   आईना दिखलाने जो हमको चले। वो ज़रा अपनी रहें औक़ात में।।   देना हो तो दीजिये कोई ख़ुशी। ग़म