### **नेहा की रिकवरी और करण की नज़दीकियाँ**वो रातें अब गुज़र चुकी थीं जब नेहा खुद से भी डरती थी। उसकी आंखों में अब भी हल्का भ्रम था, पर करण का साथ उसे धीरे-धीरे **यथार्थ की ज़मीन** पर ला रहा था।हर सुबह करण उसे किताब पढ़कर सुनाता, कॉफी बनाकर देता, और जब वो डर से काँपती, तो **उसके माथे पर एक किस देता – भरोसे का।**एक दिन नेहा ने उसकी तरफ देखा –**"मैं अब सबकुछ भूलना चाहती हूँ करण... सिर्फ तुम्हारी होना चाहती हूँ।"**करण मुस्कराया, उसकी आंखों में देखता रहा –**"और मैं तुझे किसी और का होने नहीं दूँगा।"**---###