हर रिश्ता जरूरी नहीं कि नाम पाए... कुछ रिश्ते बस अहसास होते हैं – और कुछ... **भ्रम।**करण के जाने के बाद, मेरी दुनिया एकदम ठहर गई थी। सबको लगता था कि वो कहीं चला गया, लेकिन मुझे नहीं। मुझे अब भी हर सुबह उसकी मौजूदगी महसूस होती थी। मेरे तकिये की दूसरी तरफ उसका एहसास होता, मेरी पलकों पर उसकी उंगलियां फिरतीं... मेरी सुबह उसकी आवाज़ से होती – **"नेहा, उठो... तुम्हारी कॉफी ठंडी हो रही है।"**लेकिन जब मैं आईने में देखती थी – मेरे पीछे कोई नहीं होता था।---**"तुम उसे भूली नहीं हो, ना?"**रिया मुझसे पूछती थी। उसकी आवाज़