एपिसोड 10 – जब किताबें अपना सच कहें---1. एक सामान्य सुबह – लेकिन मन बेचैननैना आज लाइब्रेरी जल्दी पहुँची थी।हवा में हल्की नमी थी, जैसे रात की कोई अधूरी बात अब भी तैर रही हो।आरव का मैसेज आया:“कुछ ढूँढने का मन है आज — कुछ पुराना, कुछ अधूरा।लाइब्रेरी चलूँ तुम्हारे साथ?”नैना ने जवाब नहीं दिया,लेकिन जब आरव पहुँचा, तो उसे दरवाज़े पर नैना मुस्कुराते हुए मिल गई।---2. लाइब्रेरी की खामोशी – और दो धड़कते दिललाइब्रेरी के पुराने सेक्शन में दोनों पहुँचे।दीवारों पर धूल जमी थी, किताबों के पन्ने पीले हो चुके थे,और हर किताब जैसे कोई रहस्य समेटे बैठी