एपिसोड 4 – एक रात की खामोशी---1. सर्द हवाओं में टूटा हुआ दिनदोपहर के तीन बजे, लाइब्रेरी की खिड़कियों से आती ठंडी हवा ने किताबों के पन्ने उड़ा दिए थे।नैना उन्हें समेट रही थी, लेकिन उसकी उंगलियाँ काँप रही थीं।आज वही तारीख थी…जब आठ साल पहले उसकी माँ इस दुनिया से चली गई थीं।हर साल की तरह आज भी उसने किसी से कुछ नहीं कहा था।लेकिन इस बार फर्क ये था — आरव था।कहीं दूर से सही, पर था।---2. मैसेज नहीं… पर किसी ने महसूस कियाआरव अपने स्टूडियो में था।वो एक इंटीरियर प्रोजेक्ट के स्केच में उलझा हुआ था,पर