स्त्रियां

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अशोक और मधु के घर में आयोजित वह पार्टी अच्छी चल रही थी। उस का आधार भी प्रत्याशित था और प्रभाव भी। स्तुत्य भोजन,श्लाघ्य मेज़बानी तथा विनोदपूर्ण संवाद का सभी भरपूर आनंद ले रहे थे कि अकस्मात एक अतिथि बोले, “आज इन महिलाओं से पूछते हैं, उन के लिए सब से बढ़िया दिन की क्या परिभाषा है…..” ‘आह’, ‘आहा’ और ‘ओहो’ से शुरू होकर ‘क्यों?’ ‘बुरा क्या है?’ ‘कोई हर्ज ही क्या है?’ से गुज़र लेने के बाद सवाल- जवाब की वह परिक्रमा ‘अच्छा’, ‘अस्तु’ और ‘यही सही’ के वर्णन को वितान देने के लिए ठहर गई। “अपने घर और