मित्रों! स्नेहिल नमस्कार हम सब सहयात्री हैं। अंतर केवल इतना है कि किसी का मार्ग कुछ है तो किसी का कुछ, कोई लंबा रास्ता पकड़ता है तो कोई शॉर्टकट से जाना पसंद करता है किंतु लक्ष्य सबका एक ही है, आनंदानुभूति !! "कर्म प्रधान विश्व करि राखा" हम सब इस तथ्य से परिचित हैं कि इस सृष्टि का आधार ही कर्म है। मनुष्य इस धरती पर जन्म लेता है, उसके अनुसार कर्मों को निश्चित करके उसे धरती पर उतारा जाता है। उसे अपने वे कर्म करने ही होते हैं जो उसके हिस्से में आते हैं। उसके कर्मों से ही