(नित्या के एमए में एडमिशन की खुशी पूरे घर में फैली हुई थी, वहीं छाया भी अब पढ़ाई को गंभीरता से लेने लगी थी। कॉलेज में एक दिन लाइब्रेरी में छाया और विशाल अनजाने में बंद हो जाते हैं। इस घटना से विशाल को गलतफहमी हो जाती है कि छाया ने यह सब जानबूझकर किया। जबकि छाया खुद भयभीत और परेशान थी। घर लौटते समय वह सोचती है कि उसकी छवि ऐसी क्यों बन गई है कि लोग उस पर विश्वास नहीं करते। दूसरी ओर विशाल बदले की भावना से भर जाता है। कहानी अब टकराव और आत्मसम्मान की दिशा