परिवार की परछाइयां

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परिवार की परछाइयाँभाग 1: जडे वाराणसी की पावन धरती पर गंगा किनारे बसा एक मोहल्ला – केदार घाट का इलाका, जहाँ मंदिरों की घंटियाँ सुबह-सुबह पूरे वातावरण को आध्यात्मिक बना देती थीं। उसी मोहल्ले के बीचोंबीच एक पुराना, दोमंज़िला घर खड़ा था – “शुक्ला निवास।”यह घर सिर्फ ईंट-पत्थरों से बना मकान नहीं था, यह एक जड़ था – एक ऐसी जड़, जिसमें एक पूरा परिवार अपनी परंपराओं, रिश्तों, संघर्ष और प्रेम के साथ फल-फूल रहा था। बाबूजी - रामनिवास शुक्लाघर के मुखिया, लगभग 70 साल के रामनिवास शुक्ला, सादा सफ़ेद धोती-कुर्ता, सिर पर हल्के झुर्रियों वाली टोपी और पैरों में