मां का आंचल

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सूरज की पहली किरण जैसे ही खिड़की से होकर अंदर आई, राधिका की नींद खुल गई। सामने की दीवार पर टंगी माँ की तस्वीर पर उसकी नजर गई। वो तस्वीर हर सुबह उसे एक नई ताकत देती थी, मानो माँ अब भी वहीं कहीं आसपास हो। राधिका अब एक सफल लेखिका बन चुकी थी, लेकिन उसकी यह सफलता सिर्फ उसकी मेहनत नहीं थी, बल्कि माँ की दुआओं और संघर्षों की भी कहानी थी।राधिका का बचपन बहुत साधारण था। एक छोटे से गाँव में उसका जन्म हुआ था, जहाँ सुविधाओं का अभाव था लेकिन प्यार और अपनापन भरपूर था। उसके पिता