“जोहार” शब्द किसी एक व्यक्ति या राजा द्वारा नहीं दिया हैं , यह आदिवासी समाज जनजातियों की सांस्कृतिक चेतना और परंपरा से निकला है, विशेष रूप से संथाल, मुंडा और हो जैसी जनजातियों में यह शब्द सबसे पहले प्रयोग हुआ है, यह एक सामूहिक विरासत है, जो पीढ़ियों से चली आ रही है। “जोहार” केवल एक शब्द नहीं है, बल्कि यह भारत की आदिवासी परंपरा, आदर, और सांस्कृतिक की पहचान का प्रतीक है। “जोहार” शब्द का उपयोग हजारों वर्षों से आदिवासी संस्कृतिक जीवन में होता आया है। इसका मूल उद्देश्य होता है "बड़ों को सम्मान देना, अतिथियों का स्वागत करना, और