तेरे साथ, एक वर्दी का सपना

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"तेरे साथ, एक वर्दी का सपना"   गाँव की छोटी सी लाइब्रेरी में हर दिन सुबह 6 बजे एक लड़का आता था — नाम था आकाश। गहरे रंग का, पतला, आंखों में मेहनत की लकीरें और हाथों में एक पुराना नोटबुक। आकाश का सपना था — सेना में भर्ती होना। वहीं उसी लाइब्रेरी के कोने में एक लड़की भी बैठती थी — संध्या। सपना उसका भी बड़ा था — राज्य पुलिस में अफसर बनना। वो दोनों रोज़ आमने-सामने बैठते, नज़रें कभी-कभी टकरा जातीं, पर एक शब्द भी नहीं बोलते। वो लाइब्रेरी उनके बीच की दूरी थी — और वही दूरी