मृत आत्मा की पुकार

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वह आवाज़ जो वापस आई     शमशेरपुर ऐसा गाँव था जहाँ कहानियाँ सिर्फ सुनी नहीं जाती थीं, बल्कि हवा में घुलकर हर सांस के साथ महसूस की जाती थीं। पहाड़ों के बीच बसा यह गाँव दिन में साधारण लगता था, लेकिन रात ढलते ही सब कुछ बदल जाता था। यह केवल अंधेरा नहीं होता था — यह किसी की नज़र होती थी, किसी की साँस, जैसे कोई देख रहा हो… सुन रहा हो।   गाँव के उत्तर में फैले घने जंगल को लेकर दशकों से एक ही बात कही जाती रही — वहाँ कुछ है। कुछ ऐसा जो जीवित