"विजय और वो आम वाला बाग" विजय बम्बई का लड़का था — ऊंची बिल्डिंग में रहने वाला, चमकते जूते पहनने वाला और ‘थैंक यू’ बोलने वाला लड़का। लेकिन हर साल गर्मी की छुट्टियों में जब वो अपनी नानी के गांव जाता, तो सबकुछ बदल जाता था — कपड़े से लेकर चाल तक। गांव में विजय की पहचान बस एक ही थी — "बम्बई वाला लड़का"। गांव के बच्चे उसे देख कर फुसफुसाते, “देखो देखो, आया है बम्बई वाला!” वो ना तो मिट्टी में खेलना जानता था, ना ही बैलगाड़ी पर चढ़ना। लेकिन उसे गांव से प्यार था — खासकर नानी