पेड़ से मीठे जामुन, पर पकड़ से तेज़ थे हम

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“पेड़ से मीठे जामुन, पर पकड़ से तेज़ थे हम”   गर्मी की छुट्टियाँ चल रही थीं और पूरा गांव दिनभर छांव ढूंढता फिरता था। लेकिन हम चार लड़कों के लिए छांव नहीं, पेड़ के ऊपर की टहनी ज़रूरी थी — जहां सबसे काले, सबसे रसीले जामुन लटके होते थे। गांव के पीछे एक बाग था। उसके ठीक बीचोंबीच एक जामुन का पेड़ था — घना, ऊंचा और बिल्कुल सीधे आसमान से बातें करता हुआ। उस पेड़ के नीचे बैठकर हमें पता नहीं कितनी बार डांट पड़ी थी, लेकिन उस पर चढ़ने का लालच हर बार नया जोश भर देता