अखतरी की कलम से.... हम जिस समाज में रहते हैं, वहां औरत को ईश्वर की अनुपम रचना कहा जाता है। उसे माँ, बहन, बेटी और पत्नी के रूप में पूजा जाता है। लेकिन सच्चाई यह है कि उसी समाज में औरत को सबसे ज़्यादा ताने, उपेक्षा और अपमान का सामना करना पड़ता है। यह विरोधाभास ही हमारे समाज की सबसे बड़ी विडंबना है।एक औरत अगर अपने अधिकारों की बात करे, तो उसे "ज़्यादा बोलने वाली", "जिद्दी", या "घर बिगाड़ने वाली" कहा जाता है। अगर वह चुप रहे, तो उसे "कमज़ोर" या "मूर्ख" कहा जाता है। यानी औरत कुछ भी करे, समाज