वापसी उस रात की

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धीरु एक संवेदनशील मगर साहसी युवक था जो शहर के शोर से दूर एक पुराने जंगल के पास बसे गांव "व्यासपुर" में अपने दादा-दादी के साथ रहता था, जहां बचपन की यादें अभी भी हवा में तैरती थीं और पेड़ों के पत्ते जैसे हर बार कुछ कहना चाहते थे, लेकिन इस गांव की सबसे पुरानी कहानी थी उस "नीम हवेली" की, जो गांव से कुछ दूर एक वीरान पहाड़ी पर खड़ी थी, जहां न दिन में कोई जाता था और न रात में किसी का नाम लिया जाता था, क्योंकि कहा जाता था कि वहां किसी आत्मा की हंसी गूंजती