शापित हवेली: रूहों का बदला

उत्तर प्रदेश के एक दूरदराज गांव "कुंवरगंज" के किनारे एक पुरानी हवेली खंडहर बन चुकी थी, लोग कहते थे उस हवेली में कोई रूह रहती है, जो हर पूर्णिमा की रात को जागती है, उस हवेली का नाम था "ठाकुर हवेली", और गांव में हर कोई उस हवेली का नाम सुनकर ही कांप उठता था, कहते हैं वहां रात में रोशनी जलती है, मगर अंदर कोई नहीं होता, कोई हंसी की आवाज सुनाई देती है और दीवारों पर खून के हाथों के निशान दिखते हैं, मगर सब डर के मारे कुछ बोलते नहीं, कहानी की शुरुआत होती है शहर से