तेरा साथ भी, तेरा साया भी – धीरु और खुशबू की अधूरी दास्तां

धीरु सिंह, एक शांत लेकिन रहस्यमयी युवक, जिसकी आंखों में दर्द भी था और इरादों में कोई चुप्पी भी थी, छोटे से गांव रतनपुर में अपने दादी के साथ रहता था, मां-बाप की मौत बचपन में एक भयानक हादसे में हो गई थी, और तब से धीरु का दिल कभी पूरी तरह हंसा नहीं था, लेकिन वह हर किसी की मदद करता था, बच्चों को पढ़ाता, बड़ों की सेवा करता, और उस पर गांव की हर लड़की का दिल आ जाता, पर धीरु किसी की आंखों में ठहरता नहीं था, जब तक उसकी जिंदगी में खुशबू की एंट्री नहीं होती,