कोई मेरा नहीं

  • 216
  • 63

कोई मेरा नहीं. . .शरोवन / कहानी*** 'मैं किसका हूँ?''पता नहीं.''कौन मेरा है?''है ही नहीं.'किसी शायर के समान उपरोक्त पंक्तियों की दिल पर चोट मारने वाली, पत्थरों जैसी विचारधाराओं की एक लंबी-सी पागलों समान जानलेवा लहर ने ज़ोरदार कसरत भरी टक्कर मारी तो अपने ख्यालों में गुम बैठे हुए रंजन के दिल-ओ-दिमाग की सारी कड़ियाँ तक हिल गईं. उसे लगा कि, जैसे अचानक ही किसी ने उसे उठाकर बड़ी बे-दर्दी से किसी पहाड़ी से नीचे फेंक दिया है. इस प्रकार कि, उसके बदन का पोर-पोर  अपने ही स्थान पर कम्पन करने लगा है.घबराते हुए रंजन अपने उलझे हुए विचारों से निकल