७. सुबह की पहली सुनहरी किरण जैसे ही खिड़की से भीतर आई, उसका हल्का सा स्पर्श पायल के मासूम चेहरे पर पड़ा। नींद की नरम चादर में लिपटी पायल के चेहरे पर वो किरन जैसे किसी चित्रकार की तरह उजास भर गई हो। उसकी मासूमियत, उसकी नर्मी और उस पर पसरी शांति को देखकर कोई भी ठहर सा जाए, और यही तो हो रहा था।दरवाजे के पास खड़ी सुनीति जी बड़ी ही ममता भरी निगाहों से अपनी बेटी को निहार रही थीं। उनका