पुराने बक्से की यादें

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कहानी का शीर्षक: "पुराने बक्से की यादें"गर्मियों की छुट्टियों में आरव अपने दादी-दादा के गांव आया था। शहर की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी से दूर, गांव की मिट्टी में कुछ खास अपनापन था जो उसे हमेशा खींच लाता था। इस बार दादी ने उससे कहा, “बेटा, ज़रा ऊपर वाले कमरे की सफाई कर दे, सालों से किसी ने वहां झांका भी नहीं।”आरव उत्साहित होकर उस पुराने कमरे में पहुंचा। लकड़ी की अलमारी, धूल भरे परदे, और कोनों में जाले लगे हुए थे। एक कोने में एक बड़ा, पुराना लकड़ी का बक्सा रखा था। बक्सा कुछ भारी था लेकिन आरव ने उसे