प्रिया का रिश्ता डोगरा हाउस आज सचमुच किसी राजमहल जैसा सजा था। हर कोने से फूलों की सोंधी खुशबू आ रही थी। नौकर-चाकर इधर-उधर दौड़ रहे थे, और कुमुद — घर की मालकिन — हर चीज़ पर अपनी तीखी निगाह रखे हुए थी। हल्की पीली साड़ी में, गहनों की न्यूनतम परत में भी वह किसी सेठानी से कम नहीं लग रही थी।तभी एप्रन पहने एक आदमी पीछे से आया — प्लेट में पकोड़े थे। उसने हँसते हुए एक पकोड़ा कुमुद के मुँह में डाल दिया।“भाग्यवान! ज़रा चखो तो — ठीक बने हैं न?”कुमुद ने गुस्से से उसकी ओर देखा — और