13वी मंज़िल का दरवाज़ा - 2

  • 765
  • 291

️ 13वीं मंज़िल का दरवाज़ा भाग 2: दरवाज़े के उस पारदरवाज़ा चरमराते हुए खुला। वर्षों पुरानी जंग की गंध जैसे उस कमरे से बाहर फैलने लगी। विशाल ने गहरी साँस ली और धीरे-धीरे भीतर कदम रखा।कमरा पूरी तरह अंधेरे में डूबा हुआ था, लेकिन जैसे ही वो पहला कदम अंदर रखता है, दीवारों से हल्की नीली चमक निकलने लगती है — मानो किसी ने कमरे को जागा दिया हो।“यह कोई सामान्य कमरा नहीं है,” विशाल ने मन ही मन सोचा।दीवारें नमी से भरी थीं, फर्श पर जाले और बिखरे हुए काग़ज़, जैसे किसी ने सालों पहले यहाँ कुछ लिखना शुरू