भक्त गोरा कुम्हारसंत श्रीज्ञानेश्वर के समकालीन भक्तो में उम्र में सबसे बड़े गोरा जी कुम्हार थे। इनका जन्म तेरढोकी स्थान मे संवत् 1324 में हुआ था। इन्हें सब लोग 'चाचा' कहा करते थे। ये बड़े विरक्त, दृढनिश्चय, ज्ञानी तथा प्रेमी भक्त थे। भगवन्नाम में तल्लीन होना इनका ऐसा होता था कि एक बार इनका एक नन्हा बच्चा इनके उन्मत्त नृत्य मे पैरों तले कुचल कर मर गया, पर इन्हें उसकी कुछ भी सुध न थी। इससे चिड़कर इनकी सहधर्मिणी पत्नी ने इनसे कहा कि अब आज से आप मुझे स्पर्श न करें। तब से इन्होंने उन्हें स्पर्श करना सदा के