शब्दों का बोझ - 2

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चुप्पी की भाषा”June 28, 2025“जब शब्द बेमानी हो जाएँ, तो चुप्पी बोल उठती है।”1. चुप्पी का इन्कारराघव को अब किसी की आवाज़ का इंतज़ार नहीं था। वो जानता था कि कुछ जवाब कभी नहीं आते, और कुछ सवाल बस सवाल ही रह जाते हैं। पर भीतर कहीं एक कोना अभी भी था, जो कभी-कभी कह उठता—“काश कोई पूछे… तू चुप क्यों है?”पर राघव ने अब ये उम्मीद भी त्याग दी थी। उसने खुद से कहना शुरू किया—“मैं चुप हूँ, क्योंकि मैंने बहुत कुछ कहा… और सब कुछ व्यर्थ गया।”अब चुप्पी उसका हथियार थी, उसका कवच, और शायद उसकी सबसे सच्ची