तब गुरू नानक देव जी ने अपनी पट्टी पाधे पंडित को सौंप दी पाधा पट्टी देखकर हैरान रह गया गुरु नानक देव जी की पट्टी पर बारीक कलम से छंदबद्ध में बहुत कुछ लिखा हुआ था।पाधा पंडित पढ़ते पढ़ते मुग्ध हो गया।सारी पट्टी पर सिहरफी की तरह पंजाबी के पैंतीस अक्षरों के अनुसार पैंतीस अक्षरी लिखी हुई थी।जब श्री गुरु नानक देव जी ने पंजाबी , हिंदी, एवं संस्कृत की पढ़ाई खत्म कर ली तो मौलवी साहब के पास फारसी की पढ़ाई हेतु दाखिला करवाया गया।उस काल में इस्लामी हुकूमत होने के कारण दफ्तरी पत्र व्यवहार की भाषा फारसी थी।