बीते समय की रेखा - 5

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5.मित्तल साहब के पुत्र ने यहां रहते हुए बहुत तरक्की की और अब पिता के सेवानिवृत्त हो जाने के बाद परिसर में वो मित्तल साहब कहलाने लगे। कुछ समय बाद उनकी पत्नी को भी वहां शिक्षिका की नौकरी मिल गई।इस दंपत्ति के दो पुत्र और दो पुत्रियां थीं।इनमें सबसे बड़ी पुत्री का नाम रेखा था।इसी रेखा की कहानी हम आपको सुनाने जा रहे हैं !छोटी सी रेखा विद्यापीठ परिसर में परिवार के साथ रहते हुए प्राइमरी स्कूल में पढ़ने जाने लगी। यह कन्या बालपन से ही बेहद मेधावी थी। प्रायः देखा जाता है कि पढ़ाई में तेज़ होने वाले बच्चे