बीते समय की रेखा - 3

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3.समय अपनी रफ़्तार से चला जा रहा था। उधर देश के माहौल में भी स्वतंत्रता पाने की आस तेज़ी दिखा रही थी। लोग एक नए ज़माने का स्वागत करने को आतुर थे। राजस्थान में और अन्य राज्यों में भी छितरी - बिखरी रियासतों का एकीकरण हो रहा था। शास्त्री जी की छवि भी एक बड़े नेता के तौर पर निरंतर उभर रही थी। शिक्षा के प्रति उनकी सरपरस्ती में चलने वाले इस संस्थान के कारण अपनी पार्टी और समूह में भी उनका कद खासा बढ़ रहा था।देश के बड़े - बड़े नेताओं के साथ और सहयोग से विद्यापीठ की राह