मैंने उसी दिन सोच लिया था.

एक छोटे से कस्बें में, कस्बें से दूर एक धार्मिक परिवार रहता था, परिवार में सिर्फ चार लोग थे,माँ, पत्नी, बेटी और ख़ुद,एक छोटी सी कच्ची झोपड़ी में रहते थे, चारों ओर जंगल ही जंगल था.माता जी भगवान शंकर की पूजा किया करती थी,पास में ही एक कुआं और एक शिवलिंग स्थापित किया हुआ था.सुबह ४ बजे उठकर पूजा किया करती थी,वैसे तो सभी लोग पूजा करते थे, माता जी ज़्यादा ही धार्मिक थी.बेटा ५-६ किलोमीटर दूर नौकरी करने जाया करता था, सुबह जाना और शाम को वापसी आना यही दिनचर्या थी.समय गुजरता रहा, ज़िम्मेदारियाँ बढ़ती गई,माँ की उम्र हो