अजनबी के साथ सुनहरा सफर….

मैं एक कंपनी में कार्यरत था, जो मेरे घर से सिर्फ १० किलोमीटर दूर थी. बारिश और बिजली अपना रंग दिखा रही थी,११ बज चुके थे, कंपनी की लाइट बहुत देर से नहीं थी,सब काम ठप्प.सभी लोग परेशान, मैंने मेंटिनेंस अभियंता को फ़ोन किया, फ़ोन पर उधर से बड़ा ही असंतुष्ट जवाब था, तुम्हें अपनी लगी हैं, फाल्ट का पता ही नहीं चल रहा हैं. मैं बोला, मैं आते ही सही कर दूँगा, मेंटिनेंस अभियंता बोला हा हा सही कर देगा, हम से तो हो नहीं रहा हैं और तू सही कर देगा तू स्टोर का आदमी कैसे सही कर